battle-between-development-and-naxalism-in-first-phase-in-cg-bjp-would-count-work-while-congress-showing-condition-of-villag पहले चरण में विकास बनाम नक्सलवाद की जंग छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद नक्सलवाद बनाम विकास की राजनीति शुरू हो चुकी है। दरअसल विधानसभा चुनाव के पहले चरण में बस्तर और राजनांदगांव की उन सीटों पर मतदान होना है जो नक्सलवाद से प्रभावित रही हैं। बस्तर की 12 सीटों में से अधिकांश अति संवेदनशील श्रेणी की हैं। बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, भानुप्रतापुर आदि सीटों पर नक्सलवाद का असर साफ दिखता है। 15 साल से प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा ने इन इलाकों में विकास करने की कोशिश तो बहुत की। सड़कों पर विकास दिखता भी है, हालांकि अंदरूनी इलाकों में नक्सलवाद विकास के आड़े आता रहा है। जगदलपुर बस्तर संभाग की सर्वाधिक शहरी आबादी वाली सीट है। इस सीट के भी कुछ गांव ऐसे हैं जहां पैदल चलकर ही जाया जा सकता है। बीजापुर और सुकमा जैसे धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में तो अधिकांश मतदाता ही जंगलों में रहते हैं। ऐसे में अगर विकास सत्तापक्ष के लिए मुद्दा है तो विकास में असमानता विपक्ष का हथियार बन रहा है। ऐसी ही स्थिति राजनांदगांव जिले की मोहला मानपुर जैसी कुछ सीटों की है। जाहिर है कि पहले चरण में विकास बनाम नक्सलवाद की रोचक जंग यहां देखने को मिलेगी। भाजपा के पास गिनाने को बहुत कुछ सत्तारूढ़ भाजपा के पास गिनाने के लिए बहुत कुछ है। जिला मुख्यालयों में विकास की चमकदार इबारत तो है ही, कोंटा, बासागुड़ा, पामेड़ जैसे धुर नक्सल प्रभावित इलाकों तक बनी पक्की सड़कें भी हैं। बस्तर से सीधी रेललाइन का भूमिपूजन आचार संहिता लगने के ठीक पहले किया गया। नगरनार में स्टील प्लांट अगले कुछ महीनों में शुरू हो जाएगा। बीजापुर जैसी जगहों पर बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के सरकारी प्रयास भी उल्लेखनीय हैं। लाइवलीहुड कालेज, एजुकेशन हब, शहरों में स्टेडियम और लकदक सर्किट हाउस के अलावा तेंदूपत्ता संग्राहकों से लेकर गरीब मजदूरों तक को सौगात बांटकर भाजपा आदिवासी और गरीब हितैषी बनने की कोशिश में है। कांग्रेस खोजती है तो नहीं मिलता विकास कांग्रेस को विकास नहीं मिलता। कांग्रेस ने विकास खोजो यात्रा भी निकाली। सड़क पर जहां भाजपा विकास गिनाती है उसके ठीक पीछे गांव में कांगे्रस आदम युग की पगडंडियां खोज लाती है। दरअसल बस्तर में विकास की असमानता काफी गहरी है। इसकी वजह है नक्सली आतंक। यहां शहरी इलाकों में जहां सरकार ने सारे संसाधन झांेक दिए हैं वहीं गांवों तक पहुंच ही नहीं बन पाई है। बैलाडीला के पहाडों की तराई में एनएमडीसी के दो शहर रौशन हैं, पहाड़ के पीछे बसे गांवों में बिजली है न पानी न स्कूल। यह ग्रामीण बस्तर की तस्वीर है। खुद भाजपा के स्थानीय नेता मानते हैं कि अंदरूनी इलाकों में जाना जान जोखिम का काम है तो काम कैसे हो।
Bastar:Ramavtar Tiwari,Uchit Sharma,Rajiv Chakarvarty,Dhananjay Singh,Bhagwanu Nayak-RK Gandhi - YouTube | |
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News & Politics | Upload TimePublished on 10 Oct 2018 |
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